Weight Loss: Causes,Home Remedies, Ayurvedic Management

Shrut Ayurved

27th Aug, 2024

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परिचय (Introduction) आयुर्वेद, जो कि भारत की एक प्राचीन चिकित्सा पद्धति है, मोटापे का समाधान प्राकृतिक और संपूर्ण दृष्टिकोण से …

Weight Loss: Causes,Home Remedies, Ayurvedic Management

परिचय (Introduction)

आयुर्वेद, जो कि भारत की एक प्राचीन चिकित्सा पद्धति है, मोटापे का समाधान प्राकृतिक और संपूर्ण दृष्टिकोण से प्रदान करता है। आयुर्वेद केवल weight loss पर ही ध्यान नहीं देता, बल्कि यह शरीर के संपूर्ण स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए जीवनशैली, आहार, और मानसिक शांति पर जोर देता है। आयुर्वेद के अनुसार, शरीर में वसा के असंतुलन को नियंत्रित करने के लिए शरीर के तीन प्रमुख दोषों—वात, पित्त, और कफ—के संतुलन को बनाए रखना महत्वपूर्ण है। आयुर्वेदिक उपचार में औषधीय जड़ी-बूटियाँ, संतुलित आहार, योग, और ध्यान शामिल हैं, जो वजन को नियंत्रित करने में मदद करते हैं और शरीर को शुद्ध और स्वस्थ बनाए रखते हैं।

आज के आधुनिक जीवन में, मोटापा एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या बन चुकी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, मोटापा विश्वभर में एक महामारी के रूप में उभर रही है। मोटापा न केवल शारीरिक रूप से असुविधाजनक होता है, बल्कि यह कई गंभीर बीमारियों का कारण भी बन सकता है, जैसे कि हृदय रोग, मधुमेह, उच्च रक्तचाप, और यहां तक कि कुछ प्रकार के कैंसर। मोटापा तब होता है जब शरीर में अनावश्यक वसा जमा हो जाती है, जो शरीर की सामान्य कार्यप्रणाली में बाधा डालती है। इसकी मुख्य वजहें अनियमित खानपान, शारीरिक गतिविधि की कमी, तनाव, और जीवनशैली के अस्वस्थ्य विकल्प हैं।

आयुर्वेद में मोटापे के कारण (Causes of Obesity in Ayurveda)

आयुर्वेद में, कफ दोष शरीर की संरचना और स्थिरता का प्रतिनिधित्व करता है। जब कफ दोष संतुलित होता है, तो यह शरीर में ताकत, प्रतिरोधक क्षमता और स्थिरता को बढ़ावा देता है। लेकिन जब कफ असंतुलित हो जाता है, तो यह शरीर में ठहराव, भारीपन, और वसा के जमाव का कारण बनता है, जिससे वज़न बढ़ सकता है। कफ दोष के असंतुलन के कारण शरीर में मेटाबोलिज्म धीमा हो जाता है, जिससे अतिरिक्त कैलोरी वसा के रूप में जमा होती है। कफ के असंतुलन से व्यक्ति में आलस्य, उदासी, और ठहराव की भावना उत्पन्न होती है, जिससे वे शारीरिक गतिविधियों से बचते हैं, जो वज़न बढ़ने का एक और कारण बनता है।

आयुर्वेद के अनुसार, शरीर की पाचन शक्ति को अग्नि कहा जाता है। अग्नि शरीर में पाचन, अवशोषण और पोषण का कार्य करती है। जब अग्नि मजबूत होती है, तो भोजन सही ढंग से पचता है और शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है। लेकिन जब अग्नि कमजोर हो जाती है, तो भोजन पूरी तरह से पचता नहीं है, और यह आधा पचा हुआ पदार्थ शरीर में आम (टॉक्सिन्स) के रूप में जमा हो जाता है। आम शरीर में विषाक्त पदार्थों के रूप में जमा होता है, जो न केवल पाचन तंत्र को प्रभावित करता है, बल्कि वज़न बढ़ाने में भी योगदान देता है। आम के जमा होने से शरीर में मेटाबोलिज्म धीमा हो जाता है और वसा के रूप में अतिरिक्त कैलोरी जमा होने लगती है।

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आधुनिक जीवनशैली में वज़न बढ़ने के कई प्रमुख कारण हैं:

  • अनियमित आहार: अस्वस्थ्य और अनियमित खानपान, जैसे तैलीय, मीठा, और भारी भोजन का अधिक सेवन, शरीर में कफ दोष और आम का जमाव बढ़ाता है। साथ ही, जंक फूड और प्रोसेस्ड फूड का सेवन भी वज़न बढ़ाने में योगदान करता है।
  • शारीरिक गतिविधि की कमी: नियमित शारीरिक गतिविधि की कमी, जैसे कि व्यायाम, योग, या चलना, कफ दोष को बढ़ावा देता है और शरीर में वसा का जमाव करता है। निष्क्रिय जीवनशैली भी मेटाबोलिज्म को धीमा कर देती है, जिससे वज़न बढ़ता है।
  • तनाव और मानसिक असंतुलन: तनाव, चिंता, और मानसिक असंतुलन भी शरीर में कफ दोष को बढ़ा सकता है। जब व्यक्ति मानसिक रूप से तनाव में होता है, तो शरीर में कोर्टिसोल नामक हार्मोन का स्राव बढ़ जाता है, जो भूख को बढ़ाता है और वज़न बढ़ाने में योगदान देता है। तनाव के कारण व्यक्ति अनियमित रूप से अधिक भोजन करता है, जिसे “इमोशनल ईटिंग” कहते हैं, और यह मोटापे का कारण बनता है।

आयुर्वेदिक आहार (Ayurvedic Diet)

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बिल्कुल त्याग देना चाहिये:-

  • शक्कर, चीनी या उससे बनी हुई मिठाईयां
  • क्रीम युक्त घी
  • मक्खन तैल से बने पदार्थ या तली वस्तुयें
  • आइसक्रीम, केक
  • डबल रोटी, विस्कुट आदि पदार्थ
  • शराब, शर्बत, लस्सी, अमरस आदि पेय
  • काजू, बादाम, छुआरे, किशमिश आदि सूखी मेवायें
  • आम, केला, शकरकंदी आदि फलं
  • अण्डा, मछली
  • चावल
  • उड़द की दाल या उससे बने अन्य पदार्थ
  • आलू, अरबी, जिमीकन्द, भिण्डी आदि शाग
  • भैंस का क्रीम युक्त दूध
  • नमक का प्रयोग भी कम

विशेष रूप से सेवन करायें:-

  • हरे शाग
  • जौ की रोटी
  • औषधि व् रिफाइण्ड तैल बने पदार्थ
  • , सुपाच्य फल
  • क्रीम निकाला गया दूध

weight loss के लिए आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियाँ (Ayurvedic Herbs for Weight Loss)

Reference:- Sidha prayoga sangrah book (Which has compilation of effective medicine of expert vaidhya around country.)

  • त्रिफला (Triphala)
  • गुग्गुल (Guggul)
  • गर्म पानी और शहद (Warm Water and Honey)
  • वृक्षाम्ल (Garcinia Cambogia)
  • मेथी (Fenugreek)

Home remedies for weight loss

  1. 250 ग्राम जल में 1. ग्राम अनन्नास फल निताकर, ढक्कनदार पात्र में औटावें। 1/4 जल शेष में। गाने पर नीचे उतार कर उसमें चाय की पत्ती 4 रत्ती मिलाकर पुनः पकावें। 5 मिनट बाद ही उसे छानकर गरम-गरम पीवें तो कुछ दिनों में मेदो विकार में लाभ होता है।
  2. आसन (विजयसार) की छाल का अष्टमांश क्वाथ सिद्ध कर शहद मिलाकर प्रातः सायं दिलाने से स्थूलता में कमी आने लगती है। – वनौं. विशे० भाग 1 से।
  3. गिलोय तथा त्रिफला के क्वाथ में लौह चूर्ण, शिलाजीत या गूगल 1 ग्राम मिलाकर कुछ दिनों तक सेवन करने से मेद रोग में लाभ होता है।
  4. 25 ग्राम नींबू के रस में 170 ग्राम थोड़ा गर्म जल। तथा रस के समभाग शहद मिलाकर शर्बत के समान खूब मिलाकर निराहार प्रातः 1 मास या अधिक समय तक करने तथा चिकनाई, तले पदार्थ, आलू, चावल का परहेज करने से मेद रोग में लाभ होता है। – वनौषधि विशे. भाग 4 से।
  5. विडंग चूर्ण, सोंठ, यवक्षार, लौह भस्म, जौ तथा आंवला का समभाग चूर्ण मिला लें। इस चूर्ण में से 6 रत्ती की मात्रा में सुबह-शाम कुछ दिनों तक चाटते रहने से मेदरोग में लाभ होता है।
  6. विडंग चूर्ण, शुद्ध पारद तथा पारद की कञ्जली बराबर लेकर आक के रस में खरल करें। 1-3 रत्ती तक शहद के साथ कुछ दिन तक सेवन कराने से मेदरोग में लाभ होता है।
  7. बेल की छाल, अरनी की छाल, अरलू, खम्भारी तथा पाढल की छाल का क्वाथ 40 ग्राम, शहद 6 ग्राम मिलाकर सेवन कराने से कुछ दिनों में मेद रोग में लाभ होता है।
  8. यदि वादी से शरीर मोटा हो गया हो, अत्यधिक स्थूलता आ गयी हो, चमड़ी मोटी हो गयी हो तो भांगरे के स्वरस को प्रतिदिन रात्रि में सोते समय सम्पूर्ण शरीर पर मसलते हुये सुखा लें इस प्रकार 4-5 मास तक लगातार करते रहने से शरीर की बढ़ी हुई चर्बी तथा उसके कारण स्थान-स्थान पर उभरी हुई गांठें विलीन होकर त्वचा पतली तथा शरीर फुर्तीला हो जाता है। – वनौ. विशे. भाग 5 से।
  9. शरीर में मेद अधिक बढ़ जाने पर बहुत पसीना आता है थोड़ा चलने पर श्वास भर जाता है। क्षुधा, तृषा का वेग शमन नहीं होता तथा शरीर भारी मालूम पड़ता है। ऐसी अवस्था में भोजन लेने पर तथा हरड़ को नित्य चबाकर खाने से मेद का हास होता है तथा पाचन क्रिया सबल बनती है। – वनौ. विशे. भाग 6 से।
  10. अग्निमंथ के पत्तों के रस में शिलाजीत मिलाकर सेव कराने से मेदरोग में लाभ होता है।
  11. अग्निमंथ के क्वाथ में अर्जुन चूर्ण मिलाकर कुछ दिनों तक सेवन कराने से मेद में कमी आती है।
  12. अपामार्ग के बीजों को चावलों की तरह भात बनाकर अथवा इनको पीसकर रोटी बनाकर रोगी को खिलाने से उसकी भूख नष्ट हो जाती है और मेद धीरे धीरे घटने लग जाता है। इसका उपयोग 2-3 माह तक निरन्तर कराते रहना चाहिये। – वनौ. रत्नाकर से।
  13. बेलगिरी अरनी, श्योंनाक, गम्भारी तथा पाढल समानभाग लेकर काढ़ा बनावें। इसमें शहद मिलाकर सेवन करने से मेदोरोग की निवृत्ति होती है।
  14. वरना की छाल, मौलश्री के पुष्प, बेलगिरी, वटजीरा, चित्रकमूल, अरनी, छोटी अरनी, संहजने की छाल, छोटे कटेरी, बड़ी कटेरी, तीनों कटसरैया, मूर्वा, मेंढासिंगी, चिरायता, काकड़ासिंगी, कुंदरु, कंजा, शतावरी इनका क्वाथ पीने से मेदोरोग दूर होता है।
  15. छोटी पीपल, आंवला, हरड़, बहेड़ा, देवदारु, सोंठ तथा पुनर्नवा 10-10 ग्राम सबके वजन के बराबर विधारा लेकर कपड़छन चूर्ण कर लें। यह चूर्ण – 1-1 ग्राम की मात्रा में कांजी के साथ सेवन कराने से मेदरोग में लाभ होता है। – मोटापा दूर करें पुस्तक से।
  16. घुत कुमारी (ग्वारपाठा) के पत्ते लेकर उसे चाकू से छीलं लें। उसके ऊपर थोड़ा सा नौसादर लें। का चूर्ण बुरक दें। बाद में इसे किसी बर्तन में रखकर टुकड़े टुकड़े कर रस निकाल लें। भोजन के पश्चात इस रस की 10 ग्राम मात्रा में 1 चम्मच शु. शहद मिलाकर सेवन करावें। साथ में 1-1 चम्मच त्रिफला चूर्ण गर्म पानी से सेवन करावें तो मोटापे में लाभ होता है।

आयुर्वेदिक जीवनशैली for weight loss (Ayurvedic Lifestyle Practices for weight loss)

FatBurningFoods

  • आलस्य का त्याग करना होगा।
  • निर्देशानुसार व्यायाम करना होगा।
  • भोजन पर निर्देशानुसार नियंत्रण रखना नमय होगा।
  • निर्देशानुसार समय तक औषधि का प्रयोग खनी करना होगा।
  • यदि भोजन और विशेषकर वसामय भोजन का अति सेवन तथा व्यायाम की कमी के कारण यह रोग उत्पन्न हुआ हो तो आहार का सुधार करें एवं रोगी को व्यायाम करायें। इस प्रयोजन के लिए ‘आहार और विशेषकर पचकर वसा रूप में परिणित होने वाले आहार का सेवन कम करें। सुतरां आहार अल्प प्रमाण में देवें और उनमें भी मेद तथा स्नेहमय पदार्थ एवं मधुर और पिष्टमय पदार्थ बन्द कर दें।

    इतना व्यायाम प्रतिदिन करायें, जिससे उनको थकान अधिक न आवे, लेकिन पसीना खूब आ जाय। इस प्रयोजन के लिए टहलना, दौड़ लगाना, जिमनास्टिक, बैड मिण्टन, साइकिलिंग, तैरना आदि उपाय अपनाने चाहिये। सप्ताह में एक-दो बार रोगी को ऐसा रुक्ष व्यायाम कराना चाहिय, जिससे उसे खुलकर स्वेद आवे। कभी-कभी सप्ताह में 1-2 बार मृदुसारब एवं विरेचक औषधि दिया करें। रोगी को दिन में सोने के लिये मना कर दें।

    योग: योग न केवल शारीरिक फिटनेस को बढ़ाता है, बल्कि मानसिक शांति और संतुलन भी प्रदान करता है। योगासनों से शरीर की ऊर्जा को संतुलित किया जा सकता है, जो दोषों (वात, पित्त, कफ) को संतुलित करने में सहायक होता है। सूर्य नमस्कार, त्रिकोणासन, और भुजंगासन जैसे योगासनों से वजन को नियंत्रित किया जा सकता है।

    ध्यान (Meditation): ध्यान से मानसिक शांति मिलती है और मन को संतुलित करने में मदद मिलती है। नियमित ध्यान करने से तनाव के स्तर में कमी आती है और मन की स्थिति को सुधारने में मदद मिलती है।

    प्राणायाम: प्राणायाम, या श्वास-प्रश्वास की तकनीकें, शरीर में प्राण शक्ति को बढ़ाती हैं और मानसिक तनाव को कम करती हैं। इससे वात दोष को संतुलित किया जा सकता है, जो तनाव का प्रमुख कारण है।

    Weight lossके लिए विशेष योगासन (Special Yoga Asanas for Weight Loss)

    • सूर्य नमस्कार (Surya Namaskar): Its benefits for overall fitness and weight loss.
    • पवनमुक्तासन (Pavanamuktasana): It helps in reducing bloating and improving digestion.
    • भुजंगासन (Bhujangasana): Strengthening the core and burning belly fat.
    • धनुरासन (Dhanurasana): Enhancing metabolism and reducing fat

    चलना: रोज़ाना चलने से मेटाबोलिज्म में सुधार होता है और शरीर में जमा वसा को जलाने में मदद मिलती है। चलना एक सरल और प्रभावी व्यायाम है जो किसी भी उम्र के व्यक्ति के लिए उपयुक्त है।

    नृत्य: नृत्य न केवल एक शारीरिक व्यायाम है, बल्कि यह तनाव को कम करने और मन को प्रफुल्लित करने का भी एक साधन है। इससे कैलोरी जलाने और हृदय स्वास्थ्य को बढ़ावा देने में मदद मिलती है।

    नियमित दिनचर्या: नियमित समय पर उठना, खाना, और सोना शरीर के बायोलॉजिकल क्लॉक (जैविक घड़ी) को संतुलित करता है। यह शरीर में अग्नि (पाचन अग्नि) को भी नियंत्रित रखता है, जिससे पाचन सही ढंग से होता है और वजन नियंत्रित रहता है।

    आयुर्वेदिक दिनचर्या: इसमें अभ्यंग (तेल मालिश), स्नान, योग, और ध्यान जैसी गतिविधियाँ शामिल होती हैं। इनसे शरीर और मन में संतुलन बना रहता है, जो दोषों को नियंत्रित करने में मदद करता है।

    आयुर्वेदिक चिकित्सा for weight loss (Ayurvedic Therapies for weight loss)

    • उद्वर्तन (Udvartana): Herbal powder massage for reducing cellulite and fat.
    • पंचकर्म (Panchakarma): Detoxification therapies like Virechana and Basti for weight loss.
    • अभ्यंग (Abhyanga): Regular oil massage to balance doshas and improve metabolism.

    पर्याप्त नींद: अच्छी और पर्याप्त नींद से शरीर और मन दोनों को पुनर्जीवित किया जा सकता है। नींद की कमी से शरीर में कोर्टिसोल का स्तर बढ़ जाता है, जिससे वजन बढ़ने की संभावना होती है। नियमित और पर्याप्त नींद से यह समस्या नियंत्रित की जा सकती है।

    निष्कर्ष (Conclusion)

    आयुर्वेदिक weight loss के उपचार का दृष्टिकोण संपूर्ण और प्राकृतिक है। यह केवल शरीर के weight loss करने पर ही नहीं, बल्कि व्यक्ति के संपूर्ण स्वास्थ्य पर केंद्रित होता है। आयुर्वेद के अनुसार, weight loss के लिए शरीर में दोषों (वात, पित्त, कफ) का संतुलन बनाए रखना आवश्यक है, जिससे शरीर की सभी प्रणालियाँ समुचित ढंग से काम कर सकें। आयुर्वेदिक उपचार में आहार, योग, जीवनशैली, और मानसिक स्वास्थ्य का समन्वय किया जाता है, जो व्यक्ति को आंतरिक और बाहरी रूप से स्वस्थ बनाता है। हालांकि आयुर्वेदिक उपचार प्राकृतिक होते हैं, फिर भी किसी भी उपचार को शुरू करने से पहले एक योग्य आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श लेना आवश्यक है। प्रत्येक व्यक्ति का शरीर और दोष प्रकृति अलग होती है, और उचित मार्गदर्शन से ही सही उपचार का चयन किया जा सकता है। विशेषज्ञ से सलाह लेकर आप अपने शरीर की आवश्यकताओं के अनुसार सही आयुर्वेदिक उपाय चुन सकते हैं, जो न केवल आपके weight loss करने में मदद करेगा बल्कि आपके समग्र स्वास्थ्य में भी सुधार करेगा।

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